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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2785
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 10 
माखनलाल चतुर्वेदी

पुष्प की अभिलाषा, जवानी

 

व्याख्या भाग

पुष्प की अभिलाषा

(1)

चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सिर पर चढ़ भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे तोड़ लेना बनमाली,
उस पथ में देना तुम फेंक
मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पर जावें वीर अनेक ॥

शब्दार्थ - चाह = इच्छा। सुरबाला = देवबाला। बिंध = गुंथकर। शव = मृत शरीर। इठलाऊँ = इतराऊँ, अभिमान करूँ।

सन्दर्भ - प्रस्तुत कविता माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'पुष्प की अभिलाषा' शीर्षक कविता से अवतरित है। यह कविता चतुर्वेदी जी के 'युगचरण' नामक काव्य-संग्रह से संगृहीत है।

प्रसंग - इन पंक्तियों में कवि ने पुष्प के माध्यम से देश पर बलिदान होने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या - कवि अपनी देशप्रेम की भावना को पुष्प की अभिलाषा के रूप में व्यक्त करते हुए कहता है कि मेरी इच्छा किसी देवबाला के आभूषणों में गूँथे जाने की नहीं है। मेरी इच्छा यह भी नहीं है कि मैं प्रेमियों को प्रसन्न करने के लिए प्रेमी द्वारा बनायी गयी माला में पिरोया जाऊँ और प्रेमिका के मन को आकर्षित करूँ। हे प्रभु! न ही मेरी यह इच्छा है कि मैं बड़े-बड़े राजाओं के शवों पर चढ़कर सम्मान प्राप्त करूँ। मेरी यह कामना भी नहीं है कि मैं देवताओं के सिर पर चढ़कर अपने भाग्य पर अभिमान करूँ। भाव यह है कि इस प्रकार के किसी भी सम्मान को पुष्प अपने लिए निरर्थक समझता है।

पुष्प उपवन के माली से प्रार्थना करता है कि हे माली! तुम मुझे तोड़कर उस मार्ग में डाल देना, जिस मार्ग से होकर अनेक राष्ट्र भक्त वीर, मातृभूमि पर अपने प्राणों का बलिदान करने के लिए जा रहे हों। फूल उन वीरों की चरण-रज का स्पर्श पाकर भी अपने को धन्य मानेगा; क्योंकि उनके चरणों पर चढ़ना ही देश के बलिदानी वीरों के लिए उसकी सच्ची श्रद्धांजलि है।

काव्यगत सौन्दर्य-

1. कवि ने फूल के माध्यम से अपने देशप्रेम की भावना को व्यक्त किया है।
2. कवि किसी राजनेता की भाँति सम्मान प्राप्ति की अपेक्षा, देश की रक्षा के लिए नि:स्वार्थ प्राण- उत्सर्ग करने में गौरव मानता है।
3. भाषा - सरल खड़ीबोली।
4. शैली - प्रतीकात्मक, आत्मपरक तथा भावनात्मक।
5. रस - वीर।
6. गुण - ओज।
7. शब्द शक्ति - अभिधा एवं लक्षणा।
8. अलंकार - अनुप्रास और पुनरुक्तिप्रकाश।
9. छन्द - तुकान्त- मुक्त। 24

2. जवानी

(2)

प्राण अन्तर में लिये, पागल जवानी।
कौन कहता है कि तू
विधवा हुई, खो आज पानी?
चल रही घड़ियाँ, चले नभ के सितारे,
चल रही नदियाँ, चले हिम-खण्ड प्यारे;
चल रही है साँस, फिर तू ठहर जाये?
दो सदी पीछे कि तेरी लहर जाये?
पहन ले नर-मुंड- माला,
उठ, स्वमुंड सुमेरु कर ले,
भूमि - सा तू पहन बाना आज धानी :
प्राण तेरे साथ हैं, उठ री जवानी।

शब्दार्थ - विधवा  = निस्तेज के लिए प्रयुक्त। पानी = तेज, स्वाभिमानी के लिए प्रयुक्त चल रही घड़ियाँ। लहर जाये सबमें गति है और तेरी प्रगति रुक जाए, यह कैसे सम्भव है। दो शताब्दियों के बाद तेरी उमंग जागे, यह ठीक नहीं। स्वमुंड सुमेरु कर ले = अपने सिर को मुण्ड - माला का सबसे बड़ा दाना बना ले। जीने की ममता त्याग दे। भूमि-सा आज धानी = जैसे लहलहाते हुए धानों की हरियाली में धरती का जीवन झलकता है, उसी प्रकार अपनी निस्तेज उदास जवानी को जीवन दो।

सन्दर्भ - प्रस्तुत पद्यांश माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'जवानी' कविता से उद्धृत है। यह कविता श्री चतुर्वेदी जी के संग्रह 'हिमकिरीटिनी' से ली गयी है।

विशेष -  इस शीर्षक के अन्तर्गत आने वाले समस्त पद्यांशों के लिए यही सन्दर्भ प्रयुक्त होगा।

प्रसंग -  इन काव्य पंक्तियों में देश की युवा शक्ति में उत्साह का संचार करते हुए उसे देशोत्थान के कार्यों में प्रवृत्त होने का आह्वान किया गया है। कवि युवाओं को सम्बोधित करता हुआ कहता है।

व्याख्या - अरी युवकों की पागल जवानी! तू अपने भीतर उत्साह एवं शक्तिरूपी प्राणों को समेटे है। यह कौन कहता है कि तूने अपना पानी (तेज) रूप पति खो दिया है और तू विधवा होकर निस्तेज हो गयी है? मैं आज जिधर भी दृष्टिपात करता हूँ, उधर गति -ही-गति देखता हूँ। घड़ियाँ अर्थात् समय निरन्तर चल रहा है। आसमान के सितारे भी गतिमान हैं। नदियाँ निरन्तर प्रवाहमान हैं और पहाड़ों पर बर्फ के टुकड़े सरक- सरककर अपनी गति का प्रदर्शन कर रहे हैं। प्राणिमात्र की साँसे भी निरन्तर चल रही हैं। इस सर्वत्र गतिशील वातावरण में ऐसा कैसे सम्भव हो सकता है कि तू ठहर जाये? इस गतिमान समय में यदि तू ठहर गयी और तुझमें गति का ज्वार भाटा न आया तो तू दो शताब्दी पिछड़ जाएगी। समय बीत जाने पर जब तुझमें तरंगें उठेगी तो उन तरंगों में दो शताब्दी पीछे वाली गति होगी; अर्थात् जवानी के अलसा जाने पर देश की प्रगति दो शताब्दी पिछड़ जाएगी।

हे नवयुवकों की जवानी ! तू उठ और दुर्गा की भाँति मनुष्यों के मुण्डों की माला पहन ले। नरमुण्डों की इस माला में तू अपने सिर का सुमेरु बना, अर्थात् बलिदान के क्षेत्र में तू सर्वोपरि बन। यदि आज समर्पण की आवश्यकता पड़े तो तू उससे पीछे मत हट। जिस प्रकार लहलहाते हुए धानों की हरियाली में धरती का जीवन झलकता है, ऐसे ही हे जवानी, तू भी उत्साह में भरकर धानी चूनर ओढ़ ले। प्राण तत्त्व तेरे साथ है; अतः हे युवकों की जवानी ! तू आलस्य को त्यागकर उठ खड़ी हो और सर्वत्र क्रान्ति ला दे।

काव्यगत सौन्दर्य -

1. इन पंक्तियों में कवि ने देश के युवा वर्ग का आह्वान किया है कि वह देश पर अपने को उत्सर्ग कर इसे स्वतन्त्र कराये।
2. भाषा - सहज और सरल खड़ी बोली।
3. शैली - उदबोधन।
4. रस - वीर।
5. गुण - ओज।
6. शब्द शक्ति - अभिधा लक्षणा एवं व्यंजना।
7. अलंकार - अनुप्रास, उपमा एवं रूपक।
8. छन्द - तुकान्त-मुक्त।

(3)

वह कली के गर्भ से फल रूप में, अरमान आया!
देखें तो मीठा इरादा, किस तरह, सिर तान आया।
डालियों ने भूमि रुख लटका दिया फल देख आली!
मस्तकों को दे रही संकेत कैसे, वृक्ष-डाली!
फल दिये? या सिर दिये तरु की कहानी
गूँथकर युग में, बताती चल जवानी!

शब्दार्थ - कली के गर्भ से कली के अन्दर से अरमान अभिलाषा। आली सखी। सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - कवि ने अपनी ओजस्वी वाणी में वृक्ष और उसके फलों के माध्यम से युवकों में देश के लिए बलिदान होने की प्रेरणा प्रदान की है।

व्याख्या - हे युवाओं ! फल के भार से लदे हुए वृक्षों की ओर देखो। वे पृथ्वी की ओर अपना मस्तक झुकाये हुए हैं। कली के भीतर से झाँकते फल कली के संकल्पों (अरमानों) को बता रहे हैं। 'तुम्हारे हृदय से भी इसी प्रकार बलिदान हो जाने का संकल्प प्रकट होना चाहिए। यह तो बहुत ही प्यारा संकल्प है, इसीलिए पुष्प-कली गर्व से सिर उठाये हुए हैं। जब फल पक गये, तब डालियों ने पृथ्वी की ओर सिर झुका दिया है। अब ये फल दूसरों के लिए अपना बलिदान करेंगे। हे मित्र नौजवानों! वृक्षों की ये शाखाएँ तुम्हें संकेत दे रही हैं कि औरों के लिए मर मिटने को तैयार हो जाओ। वृक्षों ने फल के रूप में अपने सिर बलिदान हेतु दिये हैं। तुम भी अपना सिर देकर वृक्षों की इस बलिदान - परम्परा को अपने जीवन में उतारो, आचरण में ढालो और युग की आवश्यकतानुसार स्वयं को उसकी प्रगतिरूपी माला में गूँथते हुए आगे बढ़ते रहो।

काव्यगत सौन्दर्य -

1. प्रस्तुत अंश द्वारा कवि युवाओं को यह सन्देश देते हैं कि जिस प्रकार वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते, उसी प्रकार उन्हें भी अपनी जवानी परहित में लगानी चाहिए।
2. भाषा - सरल खड़ी बोली।
3. शैली - उद्बोधन।
4. रस - वीर।
5. गुण - ओज।
6. शब्द शक्ति - व्यंजना।
7. अलंकार - अनुप्रास, उपमा एवं रूपक।
8. छन्द - मुक्त तुकान्त।

(4)

ये न मग हैं, तव चरण की रेखियाँ हैं,
बलि दिशा की अमर देखा-देखियाँ हैं।
विश्व पर, पद से लिखे कृति लेख हैं
ये, प्राण-रेखा खींच दे उठ बोल रानी,
री मरण के मोल की चढ़ती जवानी।

शब्दार्थ - मग मार्ग। तव तुम्हारे। रेखियाँ रेखाएँ। बलि- दिशा बलिदान की दिशा। कृति - लेख कर्मों के लेख।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - इन पंक्तियों में कवि नवयुवकों को अपने महान् और बलिदानी पूर्वजों के बनाये और दिखाये गये मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करता है।

व्याख्या - मेरे देश के नवयुवकों! जिस मार्ग पर तुम चलते हो, वह कोई साधारण मार्ग नहीं है, अपितु तुम्हारे पूर्वजों द्वारा चरणों की रेखाओं से निर्मित आदर्श मार्ग है। जिन आदर्शों के आधार पर हम अपने जीवन का निर्माण करते हैं, वे सभी आदर्श तुम्हारे सदृश युवा-पुरुषों के द्वारा निर्मित हैं। यह मार्ग बलिदान का आदर्श मार्ग है, जिसको देखकर युगों-युगों तक लोग स्वयं ही बलिदान के लिए प्रेरित होते रहेंगे।

कवि कहता है कि इन बलिदान पथों का निर्माण उत्साही नवयुवकों ने किया है। कर्मशील युवकों ने अपने सत्कार्यरूपी पदों से इन विश्व मार्गों का निर्माण किया है; अतः ये कर्मशील युवकों के कर्म के लेख हैं, जो बलिदान के मार्ग पर चलने वाले युवकों का मार्गदर्शन करते हैं। ये बलिदान के मार्ग संसार के तीर्थों की दिशा बताने वाली कील (दिशासूचक) हैं। युवक जिन स्थानों पर अपना बलिदान करते हैं, वे स्थान पृथ्वी पर बलिदान के तीर्थ (पवित्र स्थान) समझे जाते हैं।

कवि अन्त में कहता है कि हे उत्साहपूर्ण जवानीरूपी रानी ! आज तू अपने प्राणों का बलिदान देकर विश्व के युवकों के लिए बलिदान की नयी रेखा खींच दे अर्थात् एक नया प्रतिमान बना दे। हे युवकों! तुम। उठो और संसार को बता दो कि जवानी की महत्ता देश के लिए मर-मिटने में ही है।

काव्यगत सौन्दर्य-

1. युवा शक्ति के बलिदान से ही नये आदर्शों का निर्माण हुआ करता है।
2. युवकों की जवानी का महत्त्व त्याग बलिदान से ही जाना जाता है।
3. यहाँ राष्ट्र - कल्याण के लिए बलिदान का पथ प्रशस्त करने की बात कहकर कवि ने अपनी देशभक्ति का पावन भाव व्यक्त किया है।
4. भाषा - सरल खड़ी बोली।
5. शैली - प्रतीकात्मक और उद्बोधनात्मक।
6. रस - वीर।
7. गुण - ओज।
8. अलंकार - पद्य में सर्वत्र रूपक।
9. छन्द -  तुकान्त-मुक्त।
10. भावसाम्य -  महाकवि 'निराला' भी मातृभूमि पर अपने सर्वस्व को अर्पित करते हुए कहते है-

(5)

विश्व है असि का नहीं संकल्प का है;
हर प्रलय का कोण, कायाकल्प का है।
फूल गिरते, शूल शिर ऊँचा लिये हैं,
रसों के अभिमान को नीरस किये हैं।
खून हो जाये न तेरा देख, पानी
मरण का त्यौहार, जीवन की जवानी!

शब्दार्थ - असि = तलवार। संकल्प = दृढ निश्चय। प्रलय = क्रान्ति। कायाकल्प = पूर्ण परिवर्तन, क्रान्ति। शूल काँटे रस = सौन्दर्य, श्रृंगारिक आनन्द। नीरस = रस विहीन, आभाहीन, परास्त

सन्दर्भ- पूर्ववत्।

प्रसंग - इन पंक्तियों में युवा शक्ति को क्रान्ति का अग्रदूत मानते हुए युवकों को आत्मबलिदान की प्रेरणा दी गयी है।

व्याख्या - कवि नवयुवकों को क्रान्ति के लिए उत्तेजित करते हुए कहता है कि क्या यह संसार तलवार का है? क्या संसार को तलवार की धार या शस्त्र बल से ही जीता जा सकता है? नहीं, यह बात नहीं है। यह संसार दृढ़ निश्चय वाले व्यक्तियों का है। इसे उन्हीं के द्वारा ही जीता जा सकता है। प्रत्येक प्रलय का उद्देश्य संसार के अन्दर पूर्ण परिवर्तन (क्रान्ति) ला देना होता है। हे युवाओं! यदि तुम निश्चय करके नव-निर्माण के लिए अग्रसर हो जाओ तो तुम समाज व व्यवस्था में प्रलय की तरह पूर्ण परिवर्तन कर सकते हो; अतः तुम्हें दृढ़ संकल्प के द्वारा नयी क्रान्ति के लिए अग्रसर होना चाहिए।

जब व्यक्ति के अन्दर दृढ़ संकल्पों की कमी होती है तो उसका पतन हो जाता है। वायु के हल्के झोंके से ही फूल नीचे गिर जाते हैं और उनकी सुन्दरता नष्ट हो जाती है, लेकिन काँटे आँधी और तूफान में भी गर्व से अपना सिर उठाये खड़े रहते हैं। हे युवकों! दृढ़ संकल्प से मर मिटने की भावना उत्पन्न होती है और ऐसे व्यक्ति कभी अपने इरादे से विचलित नहीं होते। काँटे फूलों की कोमलता और सरसता के अभिमान को अपनी दृढ़ संकल्प शक्ति से चकनाचूर कर देते हैं।

कवि जवानी को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हे जवानी! देख तेरी नसों के रक्त में जो उत्साहरूपी उष्णता है, उस उत्साह के नष्ट हो जाने से तेरा रक्त शीतल होकर कहीं पानी के रूप में परिवर्तित न हो जाये; अर्थात् तेरा जोश ठण्डा न पड़ जाये। जीवन में जवानी उसी का नाम है, जो मृत्यु को उत्सव और उल्लासपूर्ण क्षण समझे। जीवन में बलिदान का दिन ही जवानी का सबसे आनन्दमय दिन होता है।

काव्यगत सौन्दर्य -

1. दृढ संकल्प से ही क्रान्ति लायी जा सकती है। परिवर्तन शस्त्र प्रयोग से नहीं, दृढ़ संकल्प से सम्भव है।
2. नवयुवक अपने प्राणों का बलिदान करके विश्व का नव-निर्माण कर सकते हैं।
3. भाषा - ओजपूर्ण खड़ीबोली।
4. शैली  - उद्बोधनात्मक।
5. रस - वीर।
6. छन्द -  मुक्त तुकान्त।
7. गुण -  ओज।
8. शब्द शक्ति - लक्षणा एवं व्यंजना।
9. अलंकार - सम्पूर्ण पद्य में उपमा और अनुप्रास।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 चंदबरदाई : पृथ्वीराज रासो के रेवा तट समय के अंश
  2. प्रश्न- रासो की प्रमाणिकता पर विचार कीजिए।
  3. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो महाकाव्य की भाषा पर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो को जातीय चेतना का महाकाव्य कहना कहाँ तक उचित है। तर्क संगत उत्तर दीजिए।
  5. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो के सत्ताइसवें सर्ग 'रेवा तट समय' का सारांश लिखिए।
  6. प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में प्राप्त मतों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  7. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो' में अभिव्यक्त इतिहास पक्ष की विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
  9. अध्याय - 2 जगनिक : आल्हा खण्ड
  10. प्रश्न- जगनिक के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  11. प्रश्न- जगनिक कृत 'आल्हाखण्ड' का उल्लेख कीजिए।
  12. प्रश्न- आल्हा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- कवि जगनिक द्वारा आल्हा ऊदल की कथा सृजन का उद्देश्य वर्णित कीजिए। उत्तर -
  14. प्रश्न- 'आल्हा' की कथा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- कवि जगनिक का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
  16. अध्याय - 3 गुरु गोविन्द सिंह
  17. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  18. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह की रचनाओं पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
  19. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
  20. प्रश्न- सिख धर्म में दशम ग्रन्थ का क्या महत्व है?
  21. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के पश्चात् सिख धर्म में किस परम्परा का प्रचलन हुआ?
  22. अध्याय - 4 भूषण
  23. प्रश्न- महाकवि भूषण का संक्षिप्त जीवन और साहित्यिक परिचय दीजिए।
  24. प्रश्न- भूषण ने किन काव्यों की रचना की?
  25. प्रश्न- भूषण की वीर भावना का स्वरूप क्या है?
  26. प्रश्न- वीर भावना कितने प्रकार की होती है?
  27. प्रश्न- भूषण की युद्ध वीर भावना की उदाहरण सहित विवेचना कीजिए।
  28. अध्याय - 5 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
  29. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
  30. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  31. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
  32. प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  33. प्रश्न- भीतर भीतर सब रस चूस पद की व्याख्या कीजिए।
  34. अध्याय - 6 अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
  35. प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का जीवन परिचय दीजिए।
  36. प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' के काव्य की भाव एवं कला की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- सिद्ध कीजिए अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्विवेदी युग के प्रतिनिधि कवि हैं।
  38. प्रश्न- हरिऔध जी का रचना संसार एवं रचना शिल्प पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- प्रिय प्रवास की छन्द योजना पर विचार कीजिए।
  40. प्रश्न- 'जन्मभूमि' कविता में कवि हरिऔध जी का देश की भूमि के प्रति क्या भावना लक्षित होती है?
  41. अध्याय - 7 मैथिलीशरण गुप्त
  42. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
  43. प्रश्न- 'गुप्त जी राष्ट्रीय कवि की अपेक्षा जातीय कवि अधिक हैं। उपर्युक्त कथन की युक्तिपूर्ण विवेचना कीजिए।
  44. प्रश्न- गुप्त जी के काव्य के कला-पक्ष की समीक्षा कीजिए।
  45. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त की कविता मातृभूमि का भाव व्यक्त कीजिए।
  46. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त किस कवि के रूप में विख्यात हैं? उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता में मैथिलीशरण गुप्त ने क्या पिरोया है?
  48. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त के प्रथम काव्य संग्रह का क्या नाम है? साकेत की कथावस्तु का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  49. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त ने आर्य शीर्षक कविता में क्या उल्लेख किया है?
  50. अध्याय - 8 जयशंकर प्रसाद
  51. प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।'
  52. प्रश्न- महाकवि जयशंकर प्रसाद के काव्य में राष्ट्रीय चेतना का निरूपण कीजिए।
  53. प्रश्न- 'प्रसाद' के कलापक्ष का विश्लेषण कीजिए।
  54. प्रश्न- 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' कविता का सारांश / सार/ कथ्य अपने शब्दों में लिखिए।
  55. प्रश्न- प्रसाद जी द्वारा रचित राष्ट्रीय काव्यधारा से ओत-प्रोत 'प्रयाण गीत' का सारांश लिखिए।
  56. प्रश्न- जयशंकर प्रसाद जी का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
  57. प्रश्न- प्रसाद जी के काव्य में नवजागरण की मुख्य भूमिका रही है। तथ्यपूर्ण उत्तर दीजिए।
  58. अध्याय - 9 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
  59. प्रश्न- 'सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' एक क्रान्तिकारी कवि थे।' इस दृष्टि से उनकी काव्यगत प्रवृत्तियों की समीक्षा कीजिए।
  60. प्रश्न- 'निराला ओज और सौन्दर्य के कवि हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
  61. प्रश्न- निराला के काव्य-भाषा पर एक निबन्ध लिखिए। यथोचित उदाहरण भी दीजिए।
  62. प्रश्न- निराला के जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  63. प्रश्न- निराला के काव्य में अभिव्यक्त वैयक्तिकता पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- निराला के काव्य में प्रकृति का किन-किन रूपों में चित्रण हुआ है? स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- निराला के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  66. प्रश्न- निराला की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- निराला की विद्रोहधर्मिता पर प्रकाश डालिए।
  68. प्रश्न- महाकवि निराला जी की 'भारती जय-विजय करे' कविता का सारांश लिखिए।
  69. अध्याय - 10 माखनलाल चतुर्वेदी
  70. प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  71. प्रश्न- "कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के काव्य में राष्ट्रीय चेतना लक्षित होती है।" इस कथन की सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
  72. प्रश्न- 'माखनलाल जी' की साहित्यिक साधना पर प्रकाश डालिए?
  73. प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी ने साहित्य रचना का महत्व किस प्रकार प्रकट किया?
  74. प्रश्न- साहित्य पत्रकारिता में माखन लाल चतुर्वेदी का क्या स्थान है
  75. प्रश्न- 'पुष्प की अभिलाषा' कविता का सारांश लिखिए।
  76. प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'जवानी' कविता का सारांश लिखिए।
  77. अध्याय - 11 सुभद्रा कुमारी चौहान
  78. प्रश्न- कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान किस कविता के माध्यम से क्रान्ति का स्मरण दिलाती हैं?
  80. प्रश्न- 'वीरों का कैसा हो वसंत' कविता का सारांश लिखिए।
  81. प्रश्न- 'झाँसी की रानी' गीत का सारांश लिखिए।
  82. अध्याय - 12 बालकृष्ण शर्मा नवीन
  83. प्रश्न- पं. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  84. प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी की राष्ट्रीय चेतना / भावना पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- 'विप्लव गायन' गीत का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  86. प्रश्न- नवीन जी के 'हिन्दुस्तान हमारा है' गीत का सारांश लिखिए।
  87. प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' स्वाधीनता के पुजारी हैं। इस कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  88. अध्याय - 13 रामधारी सिंह 'दिनकर'
  89. प्रश्न- दिनकर जी राष्ट्रीय चेतना और जनजागरण के कवि हैं। विवेचना कीजिए।
  90. प्रश्न- "दिनकर" के काव्य के भाव पक्ष को निरूपित कीजिए।
  91. प्रश्न- 'दिनकर' के काव्य के कला पक्ष का विवेचन कीजिए।
  92. प्रश्न- रामधारी सिंह दिनकर का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए।
  93. प्रश्न- दिनकर जी द्वारा विदेशों में किए गए भ्रमण पर प्रकाश डालिए।
  94. प्रश्न- दिनकर जी की काव्यधारा का क्रमिक विकास बताइए।
  95. प्रश्न- शहीद स्तवन (कलम आज उनकी जयबोल) का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  96. प्रश्न- दिनकर जी की 'हिमालय' कविता का सारांश लिखिए।
  97. अध्याय - 14 श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'
  98. प्रश्न- कवि श्यामलाल गुप्त का जीवन परिचय एवं राष्ट्र चेतना पर प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- झण्डा गीत का सारांश लिखिए।
  100. प्रश्न- पार्षद जी ने स्वाधीनता आन्दोलन में शामिल होने के कारण क्या-क्या कष्ट सहन किये।
  101. प्रश्न- श्यामलाल गुप्त पार्षद के हिन्दी साहित्य में योगदान के लिए क्या सम्मान मिला?
  102. अध्याय - 15 श्यामनारायण पाण्डेय
  103. प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डे के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय ने राष्ट्रीय चेतना का संचार किस प्रकार किया?
  105. प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित 'चेतक की वीरता' कविता का सार लिखिए।
  106. प्रश्न- 'राणा की तलवार' कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  107. अध्याय - 16 द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी
  108. प्रश्न- प्रसिद्ध बाल कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  109. प्रश्न- 'उठो धरा के अमर सपूतों' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  110. प्रश्न- वीर तुम बढ़े चलो गीत का सारांश लिखिए।
  111. अध्याय - 17 गोपालप्रसाद व्यास
  112. प्रश्न- कवि गोपालप्रसाद 'व्यास' का एक राष्ट्रीय कवि के रूप में परिचय दीजिए।
  113. प्रश्न- कवि गोपाल प्रसाद व्यास किस भाषा के मर्मज्ञ माने जाते थे?
  114. प्रश्न- गोपाल प्रसाद व्यास द्वारा रचित खूनी हस्ताक्षर कविता का सारांश लिखिए।
  115. प्रश्न- "शहीदों में तू अपना नाम लिखा ले रे" कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  116. अध्याय - 18 सोहनलाल द्विवेदी
  117. प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी का जीवन और साहित्य क्या था? स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी के काव्य में समाहित राष्ट्रीय चेतना का उल्लेख कीजिए।
  119. प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
  120. प्रश्न- 'तुम्हें नमन' कविता का सारांश लिखिए।
  121. प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने महात्मा गाँधी को अपने काव्य में क्या स्थान दिया है?
  122. प्रश्न- सोहनलाल द्विवेदी जी की रचनाएँ राष्ट्रीय जागरण का पर्याय हैं। स्पष्ट कीजिए।
  123. अध्याय - 19 अटल बिहारी वाजपेयी
  124. प्रश्न- कवि अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  125. प्रश्न- अटल बिहारी वाजपेयी के कवि रूप पर प्रकाश डालिए।
  126. प्रश्न- अटल जी का काव्य जन सापेक्ष है। सिद्ध कीजिए।
  127. प्रश्न- अटल जी की रचनाओं में भारतीयता का स्वर मुखरित हुआ है। स्पष्ट कीजिए।
  128. प्रश्न- कदम मिलाकर चलना होगा कविता का सारांश लिखिए।
  129. प्रश्न- उनकी याद करें कविता का सारांश लिखिए।
  130. अध्याय - 20 डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'
  131. प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  132. प्रश्न- निशंक जी के साहित्य के विषय में अन्य विद्वानों के मतों पर प्रकाश डालिए।
  133. प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
  134. प्रश्न- हम भारतवासी कविता का सारांश लिखिए।
  135. प्रश्न- मातृवन्दना कविता का सारांश लिखिए।
  136. अध्याय - 21 कवि प्रदीप
  137. प्रश्न- कवि प्रदीप के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
  138. प्रश्न- कवि प्रदीप की साहित्यिक अभिरुचि का परिचय दीजिए।
  139. प्रश्न- कवि प्रदीप किस विचारधारा के पक्षधर थे?
  140. प्रश्न- 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत का आधार क्या था?
  141. प्रश्न- गीतकार और गायक के रूप में कवि प्रदीप की लोकप्रियता कब हुई?
  142. प्रश्न- स्वतन्त्रता आन्दोलन में कवि प्रदीप की क्या भूमिका रही?
  143. अध्याय - 22 साहिर लुधियानवी
  144. प्रश्न- साहिर लुधियानवी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
  145. प्रश्न- 'यह देश है वीर जवानों का' गीत का सारांश लिखिए।
  146. प्रश्न- साहिर लुधियानवी के गीतों में किन सामाजिक समस्याओं को उठाया गया है?
  147. अध्याय - 23 प्रेम धवन
  148. प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  149. प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के गीत देशभक्ति से ओतप्रोत हैं। स्पष्ट कीजिए।
  150. प्रश्न- 'छोड़ों कल की बातें' गीत किस फिल्म से लिया गया है? कवि ने इसमें क्या कहना चाहा है?
  151. प्रश्न- 'ऐ मेरे प्यारे वतन' गीत किस पृष्ठभूमि पर आधारित है?
  152. अध्याय - 24 कैफ़ी आज़मी
  153. प्रश्न- गीतकार कैफी आज़मी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  154. प्रश्न- "सर हिमालय का हमने न झुकने दिया।" इस पंक्ति का क्या भाव है?
  155. प्रश्न- "कर चले हम फिदा जानोतन साथियों" गीत का प्रतिपाद्य / सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  156. प्रश्न- सैनिक अपनी मातृभूमि के प्रति क्या भाव रखता है?
  157. अध्याय - 25 राजेन्द्र कृष्ण
  158. प्रश्न- गीतकार राजेन्द्र कृष्ण के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  159. प्रश्न- 'जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा' गीत का मूल भाव क्या है?
  160. अध्याय - 26 गुलशन बावरा
  161. प्रश्न- गीतकार गुलशन बावरा के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  162. प्रश्न- 'मेरे देश की धरती सोना उगले गीत का प्रतिपाद्य लिखिए। '
  163. अध्याय - 27 इन्दीवर
  164. प्रश्न- गीतकार इन्दीवर के जीवन और फिल्मी कैरियर का वर्णन कीजिए।
  165. प्रश्न- 'है प्रीत जहाँ की रीत सदा' गीत का मुख्य भाव क्या है?
  166. प्रश्न- गीतकार इन्दीवर ने किन प्रमुख फिल्मों में गीत लिखे?
  167. अध्याय - 28 प्रसून जोशी
  168. प्रश्न- गीतकार प्रसून जोशी के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
  169. प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में गीतकार प्रसून जोशी ने क्या चित्रण किया है?
  170. प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में कवि ने इश्क का रंग कैसा बताया है?

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